विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता – Vishwa ki Prachin Sabhyatayen Notes
मेसोपोटामिया की सभ्यता – ( 10,000 ई.पू. )
इसका विकास इराक में टिगरीस एवं यूफ्रेट्स नदी ( दजला – फरात ) नदियों के मध्य में हुआ है । यहाँ की मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ थी । यह सभ्यता ग्रामीण थी । इसके अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि था । इस समय के मंदिरों को जिगुरद कहा जाता था ।
मेसोपोटामिया की सभ्यता के 4 भाग थे
- सोमेरियन की सभ्यता
- बेबीलोन की सभ्यता
- असिरिया की सभ्यता
- कैल्ड्रिया की सभ्यता
झूलता हुआ बगीचा बेबीलोन में स्थित है । सिंकदर ने इस सभ्यता का विनाश कर दिया ओर इसके स्थान पर ग्रीक सभ्यता को थोप दिया । विश्व की सबसे पहली सभ्यता मेसोपोटामिया की सभ्यता थी । जबकि विश्व की पहली नगरीय सभ्यता सिधु सभ्यता थी ।
क्या है सिंधु सभ्यता | आद्य ऐतिहासिक काल- Sindhu Sabhyata History In Hindi
क्या है सामाजिक न्याय | सामाजिक न्याय के प्रकार – Social Justice Definition And Types In Hindi
मिस्र की सभ्यता
यह मिस्र कागिन मस्थित थी । इस नील नदी की दिन कहते है । इस सभ्यता का विकास फिरीन के नेतृत्व में किया गया या इस सभ्यता में पिरामिड सूर्य कलेण्डार तथा ममी का विकास हुआ था । अर्थात इस सभाता का रसायन शास्त्र सुदृढ़ था । गिजा का पिरामीड सबसे प्रसिद्ध है ।
रोम की सभ्यता 600 ई.पू.
यह इटली में विकसित थी । इन्होंने पूरे भूमध्यसागर पर अधिकार कर लिया था । प्राचीन सभ्यता में यह सबसे विकसित सभ्यता थी । आज भी इस सभ्यता के अवशेष सुरक्षित बचे हुए है । जो पर्यटन का आकषण कन्द्राहा इस सभ्यता के दो सबसे बड़े राजा जुलीयस सीजर एवं आगस्टस था
Note : जूलियस सीजर की इल्या धोखे से उसके मत्रीमण्डल द्वारा कर दी गई जूलयिस सीजर नामक नाटक William Shakespear ने लिखा है ।
फारस की सम्यता 1500 ई.पू.
यह वर्तमान ईरान में थी । इस सभ्यता का विकास तेजी से हुआ था । इन्होंने पूरे अरब प्रायद्वीप पर अधिकार कर लिया था इनकी भाषा कारसी थी तथा पारसी धर्म को मानते थे ।
सिंकदर ने इस धर्म का अत कर दिया । स्थाटा स्पाटा अपने बहादूर सैनिकों के लिए विख्यात है । यह ग्रीस के पास काकाशासाभत्र था ।
सपाटा के 300 सनिकी ने लियोनाइडस के नेतृत्व में श्रीस के 20000 सैनिकों को मात दे दी थी । ग्रीस की विशाल सेना का नेतृत्व जर्कसीज कर रहा था । जसीज पोख से Spartans को हरा दिया ।
पीली नदी की सभ्यता
यह चीन में 5000 ई.पू. विकसित थी / गही नदी के तट पर इसका विस्तार था । यह सभ्यता अपने उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध थी ।