क्या है UCC (यूनिफार्म सिविल कोड) | UCC फायदे, नुकसान, कब लागू हुआ

क्या है UCC (यूनिफार्म सिविल कोड) | UCC फायदे, नुकसान, कब लागू हुआ

एक नया क़ानून, जिसे यूनिफार्म सिविल कोड कहा जा रहा है, देश में हाल ही में अविर्भावित हुआ है. इससे पहले भी यूनिफार्म सिविल कोड की चर्चा कई बार हुई है, देश में आज़ादी के बाद से ही इस मुद्दे को उठाया गया है. यूनिफार्म सिविल कोड का पहला उल्लेख ब्रिटिश राज के समय भारत में हुआ था, जब अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत स्थानीय सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं को समानरूप से बदलने की कोशिश कर रहे थे. यह 1840 के दशक में हुआ था. इसके बाद स्वतंत्र भारत में शाह बानो केस के साथ यह मुद्दा फिर से उठा, जिसकी वजह से यह आज भी विवादित है. यहाँ पर इससे संबंधित विशेष जानकारी की उल्लेख किया जाएगा

यूनिफार्म सिविल कोड क्या है (Uniform Civil Code Essay in Hindi)

यूनिफार्म सिविल कोड नियमों का एक सेट है, जिसका अर्थ यह है कि देश भर के सभी नागरिकों के लिए एक ही क़ानून होगा, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों. इसमें विभिन्न धर्मों के संबंधित नियम शामिल होते हैं. यह एक धर्म-निरपेक्ष क़ानून है, जिसमें किसी धर्म का प्रभाव नहीं होता है. यूनिफार्म सिविल कोड सभी प्रकार के धर्म-संबंधित व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त करता है. हालांकि, इस कोड के बावजूद, जिसे भारतीय संविधान और सेक्युलरिज़्म में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, यह सन 1985 में शाहबानो केस के मामले में विवादों के बीच आया है. यूनिफार्म सिविलारणिम व्यक्तिगत कानून पर अभी तक विवाद चल रहे हैं. लेकिन यह एक ऐसा क़ानून है जो किसी देश में रहने वाले सभी धर्म और जातिगत संबंध कानूनों से ऊपर होता है.

भारतीय संविधान में यूनिफार्म सिविल कोड का ज़िक्र (Uniform Civil Code in Indian Constitution)

यह बात संविधान के 44वें आर्टिकल में उल्लेखित है, जहां यह कहा गया ह क सरकार देशभर में समरत के लिए यिफार्म सिविलोडाना प्रयास करी।

यूनिफार्म सिविल कोड की पहली मांग (Uniform Civil Code फर्स्ट  डिमांड )

डॉ. भीमराव आंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता के बाद हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल लाने की मांग की थी, लेकिन इसका विरोध हुआ और उठा हुआ सवाल था कि क्या केवल एक धर्म के लिए विशेष क़ानून लाना सही है. इसके बजाय, एक ऐसा क़ानून लाने की बात कही गई थी जो सभी धर्मों के लिए एक समान हो और जिसमें सभी धर्मों के पर्सनल लॉ को समाहित किया जा सके.

यूनिफार्म सिविल कोड से संबंधित ताज़ा खबर (UCC Latest News and Update in Hindi )

वास्तविकता यह है कि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने के मामले में विचार विमर्श चल रहा है और प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश के लोगों के साथ और अन्य व्यक्तियों के साथ भी अपने विचारों को साझा करने के लिए कहा है। इसे जनता की राय और विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थन के बाद राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। हालांकि, अभी तक इसके बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है।

 क्या करेगा UCC (Uniform Civil Code What will do)

यह मुद्दा देश के कई सिविल राइट्स गठबंधनों द्वारा उठाया जा रहा है, जो सरकार से यूनिफार्म सिविल कोड के जारी करने की मांग कर रहे हैं. इसका मुख्य उद्देश्य धार्मिक रूढ़िवाद के कारण दबी कुचली जीवनशैलियों को न्याय मिलना है. यह मुद्दा कई धर्मों में विवाद का कारण बन रहा है, क्योंकि इससे धार्मिक रूढ़िवादी विचारधाराओंर प्रतिबंध लगेगा. इस क़ानून के लागू होने से निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं- सभी मजहबों केिए एक समान क़ानून होगा और धार्मिक पर्सनल लॉ की महत्वता समाप्त हो जाएगी.

– बहुविवाह, तीनाक जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगेगी और मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने और तीन बार तलाक कहकर तलाक लेने की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी. यह बात ध्यान देने योग्य है क सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर फैसला देते हुए इसे असंवैधानिक घोषित किया है- महिलाओं को अपने पिता किले और बच्चों केालने-षण जैसे मुद्दों पर भी नियम लागूोंगे.
– यूनिफार्म सिविल कोड के लागू होन धर्म से ऊपर होने के कारण देश का विकास नियमित रूप से होगा.

यह मुद्दा आगे भी विवादों का कारण बनेगा और सरकार को इस पर विचार करना होगा कि कैसे इसे समाधान किया जाए ताकि सभी नागरिकों को न्याय मिल सके।

यूनिफार्म सिविल कोड की विशेषताएं (Features of Uniform Civil Code in Hindi)

यूनिफार्म सिविल कोड का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों के बीच समानता और एकरूपता स्थापित करना है। यह एक निष्पक्ष क़ानून है और पूरी तरह से धर्म नपेक्ष है। इसके लागू होने से न्यायपालिक को अपना काम तेज़ी से करने का मौक़ा मिलेगा और अटके हुए केसों पर फैसला आ सकेगा। इससे देश की एकता और अखंडता को बढ़ावा मिलेगा और देश कानूनी रूप से और भी सबल होगा। इसलिए, एक नए समाज के लिए यूनिफार्म सिविल कोड जैस क़ानन का आना अनिवार्य ह।

यूनिफॉर्म सिविल कोड कहां लागू है (Where is Uniform Civil Code Applicable in The World)

दुनिया में कई देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो चुका है। इनमें कुछ मुस्लिम देश भी शामिल हैं जैसेि बांगलादेश, पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि।

इसके साथ ही यूरोप के कई देशों में भी समान नागरिक संहिता कार्यरत है। यह देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से समानता, न्याय और धार्मिक सम्प्रदायों के बीच समझौता करने का माध्यम बनता है। इससे लोगों को अपने अधिकारों की सुर मिलत्याम हलिए, यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की मांग भारत में भी बढ़ही है ताक सभी नागरिकों को समानता और न्याय मिल सके।

भारत में यूसीसी क्यों लागू नहीं हो पाया (History and Why UCC could not be implemented in India)

साल 1835 में ब्रिटिश काल में समान नागरिक कानून के मुद्दे को उठाया गया था। यह एक महत्वपूर्ण पहल थी जिसके अंतर्गत क्राइम, सबूत और अन्य मुद्दों पर यूनिफॉर्म सिविलोड की आवश्यकता थी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में भी यह कहा गया है कि सभी व्यक्तियों पर समान कानून लागू होना चाहिए

भारत में अभी तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू नहीं किया गया है, क्योंकि यहां पर विभिन्न धार्मिक सुदाय रहते हैं जिनकी अग-अलग मान्यताएं हं। इसलिए, यदि भत में सिविल कोड लागू होता है, तो सभी धर्मों के अपने कानून खत्म हो जाएंगे। यही वजह है कि यह मुद्दा विवादास्पद है और इसे समाधान करने के लिए समाज में चर्चा की जरूरत है।

भारत के एक राज्य में यूसीसी लागू है (UCC is Applicable in Goa)

आपने गोव में यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में जानकारी साझा की है। गोवा राज्य को भारती संविधान में स्पेशल राज्य का दर्जा दिया गया है और वहांर सभी धर्मों के लिए एक ही फैमिली कानून है। यह एक उदाहरण है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड का लागू होने से सभी नागरिकों को समानता और न्याय मिलता है।

इसमें तीन तलाक़ की प्रा नहीं होती है और शादी का पंजीकरण अनिवार्य होता है। प्रॉपर्टी के मामले में पति और पत्नी को बराबर अधिकार हो है औ अ्ट होता हहक अद्वितीय प्रयास है जो समानता और न्याय को सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे (UCC Civil Code Benefit / Advantages)

आपने समान नागरिक संहिता के फायदे के बारे में बताया है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से लड़कियों की शादी की उम्र में इजाफाोगा और वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगी। महिलाओं को बच्चे को गोद लेने और हलाला से छुटकारा मिलेगा।

लिव-इन रिलेशन में रहने वाले लोगों को डिक्लेरेशन देने की आवश्यकता होगी। पति और पत्नी को तलाक में समान अधिकार मिलेगा। शादी का पंजीकरण अनिवार्य होगा और एक से अधिक शादी करने पर पत।- की क्सगर नौकरी करे विम्मेदारी लेनी होगी। यदि पत्नी की मौत होती है, तो पति को माता-पिता की देखभाल करनी होगी। ये सभी फायदे समान नरिक संहिता के लागू होने से हो सकते हैं।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन (Uniform Civil Code Support)

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा यह बताया जा रहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड का लक्ष्य किसी एक धर्म को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि इसका मुख्य ध्येय सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार प्रदान करना है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड उत्तराखंड (Uniform Civil Code in Uttarakhand)

उत्तराखंड सरकार द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट की तैयारी की गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके संबंध में व्यक्त किया है कि वह खुश हैं कि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का लागू होने का मौका मिला है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान की धारा 44 में सभी के लिए एक समान कानून का प्रावधान है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि इसलिए उत्तराखंड की जनता से उनका वादा था कि वे समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव रखेंगे और अब वे इस पर काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके लिए यह बहुत ही खुशी की बात है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा धारा 44 में उल्लिखित बातों को लागू करने का मौका मिल रहा है।

शाहबानो केस (Shah Bano Case in Hindi)

आपकी जानकारी सही है, शाहबानो केस यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग के साथ सीधा संबंधित था। सन् 1978 में यह मामला आया था, जब शाहबानो नामक एक मुस्लिम महिला को उनके पति द्वारा तलाक़ दे दी गई थी। उस समय उनकी आयु 62 वर्ष थी और उनके पास कोई आर्थिक सहायता नहीं थी। इसलिए वह अपना गुजारा भत्ता पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गईं।

उसके बाद उन्हें एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। सन् 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाया और मुस्लिम महिलाओं के हक़ की पहचान की। इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ज़िक्र भी आया था और कोर्ट ने कहा था कि देश भर में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होनी चाहिए। हालांकि, इस फैसले का आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ ने विरोध किया और एक नया अधिनियम पारित कराया गया, जिससे शाहबानो भले ही केस जीत गईं, लेकिन उन्हें उसका हक़ नहीं मिला। इस घटना से देश भ

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