Types of suicide in hindi – आत्महत्या के प्रकार

Types of suicide in hindi – आत्महत्या के प्रकार

आत्म हत्या के 3 प्रकार (Aatmhatya ke prakar)

  1. परार्थवादी आत्म हत्या
  2. अहम् वादी आत्म हत्या
  3. अस्वाभाविक आत्म हत्या

इमाईल दुर्खीम के अनुसार आत्महत्या तीन प्रकार की होती है जो अग्रलिखित है

इस प्रकार की आत्महत्या तब होती है । जबकि व्यक्ति पूर्णतया समूह द्वारा नियंत्रित होता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व का कोई स्थान नहीं होता है । सच तो यह है कि यह उस स्थिति को व्यक्त करती है , जबकि व्यक्ति और समाज का सम्बन्ध अत्यधिक घनिष्ठ होता है और समाज या समूह व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूर्ण रूप से निगल जाता है ।

ऐसी स्थिति में व्यक्ति जो कुछ भी करता है समाज या समूह की दृष्टि से करता है । इतना ही नहीं , समूह का अत्यधिक नियंत्रण व घनिष्ठ बन्धन उसे आत्म बलिदान के लिये भी बाध्य कर सकता है । 

(Aatmhatya ke prakar)

1. परार्थवादी आत्महत्या 

परार्थवादी आत्महत्या को स्पष्ट करते हुए ‘ पारसन्स ‘ महोदय लिखते हैं ” यह उस सामूहिक चेतना की अभिव्यक्ति है जो सामूहिक दबाव के अर्थ में व्यक्तित्व के दोषों को ठुकरा देती है । ” वास्तव में परार्थवादी आत्म हत्या समूह के अत्यधिक नियंत्रण व घनिष्ठता के कारण होती है और उस स्थिति में व्यक्ति सामूहिक हित के लिये अपने जीवन को बलिदान करने के लिये भी विश्वविद्यालय तैयार हो जाता है ।

आदिम समाजों में इस प्रकार की आत्म हत्यायें देखने को मिलती है । भारत में पायी जाने वाली सती प्रथा और जापान की हारा – कीरी प्रथा इसी प्रकार के आत्महत्या के उदाहरण कहे जा सकते हैं ।

2. अहम् वादी आत्महत्या

इस प्रकार की आत्म हत्या तब होती है । जबकि व्यक्ति अपने आपको सामूहिक जीवन से अत्यधिक अलग अनुभव करने लगता है । यह परिस्थिति व्यक्तिगत विघटन के कारण होती है अथवा उस समय उत्पन्न होती है जबकि व्यक्ति के सम्बन्ध अपने समूह से पर्याप्त सीमा तक विघटित हो जाते हैं

। इस स्थिति में व्यक्ति सामाजिक दृष्टि से गहरी निराशा का अनुभव करता है . क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में व्यक्ति अपने – अपने स्वार्थों में अत्यधिक लिप्त हो जाता है और कोई किसी की परवाह नहीं करता है ।

ऐसे वातावरण में कुछ व्यक्तियों को अपने को एकाकी व उपेक्षित अनुभव करना स्वभाविक हो जाता है , क्योंकि यह सब कुछ सामाजिक जीवन से उत्पन्न गहरी निराशा के कारण होता है ।

सम्भवतया यही कारण है कि अविवाहित व परित्यक्त व्यक्ति पारिवारिक जीवन के मधुर सम्बन्धों का आनन्द नहीं ले पाते , अकेलेपन का अनुभव करते हैं और विवाहित व्यक्तियों की तुलना में कहीं अधिक संख्या में आत्म हत्या कर बैठते हैं । आधुनिक समाज में अधिकतर आत्म हत्या समाज द्वारा उत्पन्न अति अहमवाद या अति व्यक्तित्व वाद के कारण होती है ।

3. अस्वाभाविक या अप्राकृतिक आत्महत्या 

इस प्रकार के आत्म हत्यायें सामाजिक परिस्थितियों में एकाएक या आकस्मिक परिवर्तन होने के कारण होती है । इन आकस्मिक परिस्थितियों में कुछ व्यक्ति गहरी निराशा या अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव करने लगते हैं । व्यापार में एकाएक मन्दी आना , दिवालिया हो जाना , लाटरी का जीतना भीषण आर्थिक संकट आदि इसी प्रकार की आकस्मिक परिस्थितियां है । सच तो यह है कि इन नवीन परिथतियों में अनेक व्यक्ति सामान्य जीवन की भांति अनुकूलन नहीं कर पाते हैं ।

इसी स्थिति को अस्वाभाविकता कहा जाता है । इसको स्पष्ट करते हुये ‘ कोजर ‘ और ‘ रोजनवर्ग लिखते हैं ” इसका अभिप्राय यही है कि अस्वाभाविक या अप्राकृतिक आत्म हत्यायें सामान्य सामूहिक जीवन में एकाएक परिवर्तन होने से उत्पन्न सामाजिक असन्तुलन होने के कारण होती है । औद्योगिक समाज व्यवस्था में इस प्रकार की आत्म हत्यायें होती रहती है ।

Sociology meaning in hindi- Samajshashtra ki parivasha in hindi

Social Action Kya Hai: सामाजिक कार्य इन हिंदी

Leave a Comment