भारत में अपराध के कारण | Types of crime in hindi

भारत में अपराध के कारण | Types of crime in hindi

अपराध के विषय में पहले जो धारणाएँ प्रचलति रही हो परन्तु अब सामान्य रूप से विद्वानोंका यह निष्कर्ष हुआ कि अपराध के लिए कोई एक विशेष कारण उत्तरदायी नहीं है। इसमें अनेक कारण सन्निहित हैं जैसे पर्यावरण, आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी आदि।

अब यह मान्य हो गया है कि अपराधी जन्मजात नहीं होते हैं। आधुनकि विचारधारा के अनुसार अपराधी भी एक प्रकार का रोगी है और उसका भलिभांति उपचार किया जाय तो वो भी समाज में समायोजित होने के लायक हो सकता है।

भारत में अपराध के प्रमुख कारण

भारत में अपराध के कारण को दो कारणों में बाँटा जा सकता है इन्हें 

  1.  सामान्य- कारण
  2. विशिष्ट कारण

सामान्य कारणों के अर्न्तगत दो कारण आते है जो सामान्यत हर एक देश में एक ही प्रकार के होते है जो कि निम्नलिखित हो सकते है

1 सांस्कृतिक कारण

प्राय एक संस्कृति के पालनहार दूसरी संस्कृति के रहन सहन के तरीके तथा विचारों को स्वयं सरीखा नहीं मानते उसे अपराध स्वपरूप ले बैठते हैं।

इसके अर्न्तगत ‘धर्म’ तथा ‘सामाजिक प्रथा आती है।

2 शारीरिक कारण

वशांनुक्रमण स्वेलोम्ब्रों, गैटोफैली, फैटी आदि प्रास्पवादी संप्रदाय (Typological School) को मानने वाले अपराधयिों का मत है कि अपराधी जन्मो से ही ये गुण प्रवृत्ति ले के पैदा होता है। फिर शारीरिक बनावट भी इसके लिए कभी-कभी जिम्मेदार मानी जाती है, कहते है कि अपराधयिों की शक्ल सूरत कुछ विशेष प्रकार की होती है और उन्हे दूर से ही पहचाना जा सकता है परन्तु ये सिर्फ आक्रामक अपराधी ही हो सकते हैं।

इसके अर्न्तगत कुछ विशेष प्रकार आते है जो निम्न है – क-:मानसिक दुर्बलता तथा दोष (बौद्धिक क्षमता कम होने से सही गलत का ज्ञान ना होने से अपराध हो जाते है। ख:- चरितहीनता – यह एक आम बात है, हरेक समाज में ऐसे लोग पाए जाते हैं। ग:- उद्वेगीय अस्थिरता तथा संघर्ष- इस तरह से व्यक्तियों के मानसिक संघर्ष के कारण भावना ग्रन्थियाँ निर्मित होना अपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ाती हैं। घ-: मानसिक बिमारियाँ इस स्थिति में विचार शक्ति का क्षीण होना इसका कारण है।

4 आर्थिक कारण

निर्धनता एक बहुत बड़ा कारण है अपराध का क्योंकि आर्थिक स्थिति से जूझते व्यक्ति की जरूरतों का पूरा न हो पाने पर यह स्थिति आ जाती है। धन का लालच भी ये अपराध कराता है खासकर श्वेत वसन अपराधी इसी तरह के होते है। कुछ लोग बिना परिश्रम के ही धन की लालसा करते हैं तो भी वो अपराध की ओर उन्मुख हो

डॉ0 हैकरवाल ने ठीक ही लिखा है “क्षुधा और भूखमरी” उन्हे अपराध के सरल और कुटिल मार्ग पर चलने को प्रोत्साहित करती है।

5 सामाजिक कारण

सामान्य तौर पर सामाजिक धाराओ और मूल्यो मे संघर्ष होता है तो वह आपराधिक प्रवृत्ति का जन्म हो जाता है आधुनिक समाज मे मानव धन को अधिक महत्व देने लगा है और वो धन प्राप्ति हेतु हर प्रकार के प्रयास करता है और यह सोच समझ खो बैठता है कि वो सही है या गलत है इसी सम्बन्ध में सदरलैंण्ड का कहना है “अपराध अधिकांशतया सरलता से धन प्राप्त करने की इच्छा की उसी प्रकार की काल्पनिक अभिव्यक्ति है।

6. पारिवारिक कारण

बाल्यकाल से ही घर मे माहौल का व्यक्ति का सर्वाधिक प्रभाव रहता है और नित्य प्रतिदिन जो वो अपने जीवन मे देखता सुनता है वही आत्मसात् कर लेता है यदि व्यक्ति आपराधिक प्रवृत्ति का हो जाता है तो उसमे परिवार का भी बहुत बडा ( हिस्सा ) भूमिका है जैसे यदि परिवार टूटा हुआ है, विखरा हुआ है माता पिता का अभाव, या दुव्यवहार का शिकार है आदि तो भी इसका प्रभाव व्यक्ति के चरित्र तथा व्यक्तित्व पर पड़ता है।

7. राजनैतिक कारण

राजनैतिक भ्रष्टाचारों जैसे सत्ताधारी लोगो का अपना स्वार्थ पूरा करना, कानूनों में परिवर्तन करना, अपराध करने वालों की सहायता करना आदि विभिन्न प्रकार के अपराध होते हैं । जैसे “दलबन्दी ” गुटबाजी आदि। इसके अलावा यदि पुलिस विभाग में ही अनैतिकता हो तो कई तरह के अपराध आराम से फलते फूलते हैं। समाज में चूंकि अपराधियों को पता है कि कोई उन्हें रोकने टोकने के लिए है ही नही और वो बिन्दास अपराध करते हैं।

8. भौगोलिक कारण

भौगोलिक सम्प्रदाय के समर्थक अपराध शास्त्रियों का विचार हैकि अपराध , र आधारित होता है ।जलवायु तथा मौसम प,भौगोलिक स्थिति उनका विचार है कि गर्म देशों में शरीर के विरूद्ध और ठण्डे देशों में सम्पत्ति के विरूद्ध अपराध होते हैं । “लेकेसन” नामक

अपराधशास्त्री ने क्रिमिनल कैलेण्डर criminal colander के अनुसार जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल में शिशु हत्या, जुलाई में मानव हत्या तथा घातक आक्रमण, जनवरी व अक्टूबर में पितृ हत्या, मई, जुलाई, अगस्त में बच्चों के प्रति बलात्कार दिसम्बर में व फरवरी में सम्पत्ति के लिए सर्वाधिक अपराध होते हैं।

9. मनोरंजन के साधनों का प्रभाव

इस वर्ग में लिखित धाराएँ आती है –

  1. समाचार पत्र- रोचक भाषा सभी को अपनी ओर खींचती है।
  2.  चलचित्र (सिनेमा)-नए-नए तरीकों का आभास होता है, उसे अपनाना या अभ्यास करने का जूनून अपराध करवाता है।  उपन्यास- जासूसी कहानियां पढ पढ कर लोगों का दिमाग उलझ जाता है।
  3. रेडियो तथा टेलीफोन- इनका प्रयोग भी कई बार अपराधिक कार्यों हेतु किया जाता है।
  4. क्लब तथा होटल- आधुनिक विश्व में पाशविक पवत्तियों को संतुष्ट करने के लिए क्लबों तथा होटलों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। प्राय: श्वेतधारी अपराधी इन्हीं क्लबों और होटलों की सहायता

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