बाल अपराध रोकने के 14 तरीके | How to stop child crime in Hindi
भारत में बाल अपराधियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए इस बात की आवश्यकता है कि इन सुधार के साथ – साथ ऐसे उपाय करें जिससे बच्चे को अपराधी बनने से रोका जा सके । इसके लिए उन परिस्थितियों को दूर अथवा कम करना होगा जो बाल अपराध को जन्म देती है । इन्हें निम्न तरह से स्पष्ट किया जा सकता
1 . डॉ ० सेथना ने बाल अपराध निरोध के अभ्यागत अध्यापक व्यवस्था का सुझाव दिया है । इसके अनुसार अध्यापक यदि बच्चे के माता – पिता से मिलकर बच्चे के बारे में पूरी जानकारी कर लें , तब शिक्षा करें , तो बच्चे को अपराधी बनने से रोका जा सकता है ।
2. परिवार में माता – पिता अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए बच्चे का उचित रूप से पालन – पोषण करें तथा उन पर वांछित नियंत्रण रखें ।
3 . निर्धन परिवार के बालकों के लिए मुक्त शिक्षा की व्यवस्था की जाये , ताकि उनके माता – पिता बच्चे को पढ़ाने में रूचि ले ।
4 प्रायः देखा गया है कि बच्चे बुरी संगति में ही पड़कर अपराध करते है अतः कानून में परिवर्तन करना चाहिए , ताकि कम आयु के बच्चों को गुमराह करने वाले व्यक्तियों को दण्ड दिया जा सके ।
5. मनोरंजन के साधनों में सुधार किया जायें , नगरों में पार्क बनवाये जायें तथा बच्चों को चलचित्र और अश्लील साहित्य आदि से बचाया जाये ।
6 . बड़े – बड़े नगरों तथा औद्योगिक केन्द्रों पर तथा धनी बस्तियों में सलाहकार समितियां बनाई जायें , जो पिछड़े हुए बच्चों के माता – पिता का उचित सलाह दे सकें ।
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7 . स्त्री शिक्षा का विकास किया जाये । यदि परिवार में स्त्री शिक्षित होगी , तो वह बच्चों का उचित रूप से पालन पोषण कर सकेगी । बच्चों को अपराध के लिये प्रेरित करने वाले कारकों को विफल बनाने हेतु
8 अपराध – निवारण का कार्य करने वाली सभी सरकारी एजेन्सियों को संपूर्ण हृदय के साथ टोली कार्य करना चाहिये ।
9 . बाल अपराध निवारण राय से सम्बन्धित सभी संगठनों के सदस्यों और कर्मियों को विश्व रूप से प्रशिक्षित किया जाये ।
10 . गंभीर रूप से विक्षुब्ध व कुसमायोजित बालकों के उपचारार्थ बाल – निर्देशन केन्द्रों एवं मानसिक चिकित्सा केन्द्रों की व्यवस्था की जाये ।
11. परिवार को पारिवारिक रहन – सहन शिक्षा , अन्तर्भावनाशील शक्ति कार्य व सामाजिक स्वास्थ्य और परामर्श सेवा कार्यों की शिक्षा दी जाये ।
12. कम सुविधा प्राप्त बालकों की सेवा तथा सहायता की जाये । 13. पूर्णकालिक मनोरंजन एजेंन्सियों की स्थापना की जाये , तो सर्वथा स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करे ।
14. प्रेस , समाचार पत्र , रेड़ियों , दूरदर्शन , सिनेमा आदि के माध्यम से बाल अपराध के विरुद्ध प्रचार किया जाये अन्त में निष्कर्ष रूप से यह कहा जा सकता है कि यदि सरकार द्वारा समाज द्वारा तथा परिवार एवं अभिभावकों द्वारा ध्यान दिया जाये , तो बाल अपराधियों की संख्या में तो कमी की ही जा सकती है साथ ही बाल अपराध को जन्म देने वाली परिस्थितियों को भी समाप्त किया जा सकता है ।