Sociology aur Samajshastra ka vishay kshetra-समाजशास्त्र का क्षेत्र और प्रकृति

Sociology aur Samajshastra ka vishay kshetra – समाजशास्त्र का क्षेत्र और प्रकृति

 

 

 Sociology aur Samajshastra ka vishay kshetra-समाजशास्त्र का क्षेत्र और प्रकृति
Samajshastra ka vishay kshetra – समाजशास्त्र का कार्य क्षेत्र अत्यंत व्यापक है और यह सभी विषयों को अपने अंतर्गत विलीन करता है समाजशास्त्र समाज का अध्ययन करता है और उसके गतिविधियों का वैज्ञानिक पुष्टि के साथ प्रमाण देता है।

वर्तमान युग विज्ञान का युग है इस वैज्ञानिक युग में मानव अत्याधिक बौद्धिक और तार्किक हो गया है

प्रत्येक मानव हर वस्तु को विज्ञान की कसौटी पर कसना चाहता है यही बात Samajshastra के संबंध में कही जा सकती है

समाजशास्त्र को भी इस वैज्ञानिक कसौटी पर रखा जा सकता है समाज शास्त्र विज्ञान है या नहीं क्योंकि समाज एक स्थिति व्यवस्था नहीं है बल्कि परिवर्तनशील व्यवस्था है और सामाजिक घटनाओं में भिन्नता पाई जाती है।

विज्ञान का शाब्दिक अर्थ विषय ज्ञान अर्थात जो असत्य ना हो या उसकी सत्यता की जांच की जा सके जिसकी परीक्षा की जा सके जिसकी भविष्यवाणी की जा सके इन्हीं आधारों पर विज्ञान का क्रमबद्ध अध्ययन है

Samajshastra में प्रत्येक पहलू को ज्ञान की कसौटी पर रखा जा सकता है एवं भविष्यवाणी की जा सकती है इस संबंध में स्टार्ट चेंज ने लिखा है कि विज्ञान उसकी पद्धति है ना कि उसकी विषय वस्तु।


कार्ल पियर्सन ने लिखा है कि समस्त विज्ञान की एकता उसकी अध्ययन विधि में है अध्ययन सीमाओं में नहीं।
Samajshastra उनके विज्ञान को समझने के बाद संक्षिप्त रूप में वैज्ञानिक पद्धति को समझना आवश्यक होगा विज्ञान वर्गीकरण समीकरण को कहते हैं उसकी science विशेषता होती है।

Sociology aur Samajshastra ka vishay kshetra - समाजशास्त्र का क्षेत्र और प्रकृति

 

Samajshastra में वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग होता है।

1. अवलोकन द्वारा तथ्यों का संकलन होता है
2. Samajshastra में तत्वों का वर्गीकरण और विश्लेषण वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा किया जाता है।
3. समाजशास्त्र में विज्ञान वास्तविक क्या है का वर्णन करता है।
4 .विज्ञान के सिद्धांतों और नियमों का पुनः परीक्षण किया जा सकता है
5. Science में भविष्यवाणी करने की क्षमता होती है

Sociology की प्रकृति विज्ञानिक है

समाजशास्त्र एक विज्ञान है क्योंकि समाज शास्त्र का अध्ययन ही एक यथार्थ विज्ञान की भारती भवन वर्गीकरण तथा सामान्य कारण के द्वारा किया जाता है

इसमें विज्ञान की समस्त विशेषताएं पाई जाती हैं जो कि समाजशास्त्र को वैज्ञानिक आवरण देती है।

समाजशास्त्र का क्षेत्र


समाजशास्त्र एक अंकुरित नवीन विज्ञान है।


यह नवीन विकास धीरे-धीरे प्रकृति या प्रगति कर रहा है। अतः समाजशास्त्र एक प्रगतिशील विज्ञान होने के कारण एक निश्चित क्षेत्र में बांधना मुश्किल है समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र को सीमा बंद नहीं किया जा सकता है


इसके विषय क्षेत्र के बारे में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता किंतु फिर भी समाजशास्त्र विषय क्षेत्र के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने मत व्यक्त की है और इसी आधार पर समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र को दो संप्रदायों में विभक्त किया गया है

1.स्वरूपआत्मक

2.समन्वयआत्मक

Johnson

संप्रदाय प्रवर्तक का मत है कि अन्य विज्ञान कि भारतीय समाजशास्त्र बी एक स्वतंत्र विज्ञान में जिस प्रकार अर्थशास्त्र इतिहास राजनीति शास्त्र विशिष्ट पक्षों के स्वरूप का स्वतंत्र रूप से अध्ययन करते हैं उसी प्रकार समाजशास्त्र भी एक सामाजिक व मानवीय संबंधों के स्वरूपों का स्वतंत्रता पूर्वक अध्ययन करने वाला मानव विज्ञान है।

Sociology / समाजशास्त्र का अन्य विज्ञानों के साथ संबंध

समाजशास्त्र और अन्य सामाजिक विज्ञान के संबंध में अलग-अलग विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। इन सब का मानना है कि समाजशास्त्र का संबंध अन्य विज्ञानों के साथ घनिष्ठ होता है।

Sociology / समाजशास्त्र का अन्य विज्ञानों के साथ संबंध समाजशास्त्र और अन्य सामाजिक विज्ञान के संबंध में अलग-अलग विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। इन सब का मानना है कि समाजशास्त्र का संबंध अन्य विज्ञानों के साथ घनिष्ठ होता है।

sociology and its nature

 

August Comte /अगस्त काम्टे

इनके अनुसार समाजशास्त्र एक वैज्ञानिक का आवरण है (Auguste comte) अगस्त काम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना गया है

अगस्त काम्टे का मत है कि समाजशास्त्र तथा अन्य विज्ञानों के बीच घनिष्ठ संबंध है


जो कि समाजशास्त्र ही एक ऐसा विज्ञान है जो संवर्ग रूप से वैज्ञानिक अध्ययन करता है

समाज के विभिन्न पक्षों का अलग-अलग अध्ययन करने वाले विज्ञान जैसे राजनीतिक शास्त्र ,अर्थशास्त्र,इतिहास इत्यादि विषय को विज्ञान कहना उचित नहीं क्योंकि इनका अध्ययन वैज्ञानिक तरीके से नहीं होता इस समाज का संगठित रूप से अध्ययन करते हैं।

Herbert Spencer /हरबर्ट स्पेंसर

ब्रिटिश के समाजशास्त्रस्पेंसर ने कामटे के मत से सहमत ना हो कर कहा है कि समाजशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान ना होकर एक समन्वय आत्मक सामाजिक विज्ञान का समन्वय है

जैसे राजनीतिक शास्त्र/polity, अर्थशास्त्र/Economy ,मनोविज्ञान ,अपराध शास्त्र समन्वय आत्मक विज्ञान है।

Relations in sociology and history

 

समाज शास्त्र और इतिहास में संबंध
Relations in sociology and history

समाजशास्त्र और इतिहास के संबंध में विचार व्यक्त करते हुए जॉर्ज हॉवर्ड ने लिखा है कि इतिहास भूत कालीन समाजशास्त्र तथा समाजशास्त्र वर्तमान का इतिहास है।

इस संबंध में हॉवर्ड ने इतिहास का संबंध भूतकाल इन घटनाओं से तथा समाजशास्त्र का संबंध वर्तमान घटनाओं से जोड़ने का प्रयास किया है।

आधुनिक युग में इतिहासकारों ने अपने चिंतन की दिशा को आगे बढ़ाते हुए अपने अध्ययनों में सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक ,आर्थिक अन्य पक्षों पर अध्ययन की सीमा को और विस्तार रूप दिया है जिसके कारण इतिहास के अनेक नवीन शाखाओं में विकास का जोड़ दिया गया है।

एवं सभी शाखाओं के विद्वान प्राचीन काल के अध्ययन में मानवीय गतिविधियों एवं मानवीय संबंधों पर जोर दिया गया है इन्हीं आधारों पर समाज शास्त्र और इतिहास का घनिष्ठ संबंध रहता है।

समाजशास्त्र और इतिहास में अंतर/Difference between Sociology and History

समाज शास्त्र और इतिहास विज्ञान के संबंधों में घनिष्ठता तथा परस्पर संबंध के कारण अनेक लोगों को भ्रम हो सकता है कि दोनों विज्ञानों में बहुत कम अंतर होने के कारण दोनों विज्ञानों को जुड़वा बहन माना जा सकता है।

1 समाजशास्त्र का प्रत्यक्ष संबंध वर्तमान समाज व सामाजिक दशकों से होता है।

जबकि इतिहास का प्रत्यक्ष संबंध अतीत की घटनाओं का भूतकाल के समाज से होता है।

2 समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र बहुत ही व्यापक है इसके अंतर्गत सामाजिक धार्मिक आर्थिक राजनैतिक ऐतिहासिक आदि पक्षियों का अध्ययन किया जाता है।
जबकि इतिहास अध्ययन क्षेत्र सीमित है इसके अंतर्गत ऐतिहासिक पक्षों को अध्ययन करते हैं एवं जानने की कोशिश की जाती है ।
3 समाज शास्त्र और इतिहास घटनाओं से संबंधित कार्य कारण और संबंधों को ज्ञात कर प्रकट करता है।
तथा एक नए सिद्धांत को जन्म देता है।
4 समाजशास्त्र के अध्ययनों में प्रमाणिकता या विश्वसनीयता की जांच करने हेतु परीक्षण निरीक्षण किया जा सकता है
जिससे परिणाम स्वरूप विश्वसनीय तथ्य माने या सामने आते हैं।

समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में संबंध

 

समाजशास्त्र और राजनीति के संबंध के परिपेक्ष में समाज वैज्ञानिक कौन है जो विचार व्यक्त किए हैं उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि समाज शास्त्र और राजनीति साथ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।h

तथा इनमें बहुत से घनिष्ठ संबंध हैं या घनिष्ठता पाई जाती है ।

समाजशास्त्र में समाज के सभी वर्गों का अध्ययन किया जाता है।

जबकि राजनीति शास्त्र में राज्यों की प्रक्रियाओं से संबंधित समाज सभा सकता तथा राजनैतिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है

समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में गहन संबंध आधुनिक समय में राजनीति शास्त्र में राजनीतिक व्यवस्था के साथ राजनीतिक व्यवहार पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है।

समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में संबंध 1.समाजशास्त्र समाज में व्याप्त गतिविधियों पर अध्ययन करता है

जबकि राजनीति शास्त्र उन अध्ययनों का अवलोकन करके नीति निर्माण करता।

2.समाजशास्त्र का दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक है जबकि राजनीति शास्त्र का दृष्टिकोण समाजशास्त्र की तुलना में सीमित है

3.समाजशास्त्र समाज के सदस्यों के सामाजिक संबंध संस्था समुदाय प्राथमिक व द्वितीय समूह व उनके व्यवहारों अध्ययन प्रमुख रूप से किया करता है

जबकि राजनीति शास्त्र समाज की राजनीति संबंध राजनीतिक व्यवहार के अध्ययन पर ही बल दिया करता है।

4.समाजशास्त्र के अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों का चिंतन का आधार सामाजिक होता है

प्रत्येक समस्या के कारणों की खोज में सामाजिक कारणों को प्रमुखता देते हैं जबकि राजनीति शास्त्र में चिंतन का मुख्य आधार होता है राजनीति।

 

समाजशास्त्र और मानव शास्त्र में संबंध/Relations in Sociology and Political Science

1.समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र वर्तमान समाज सामाजिक संबंध सदस्यों की सामाजिक क्रिया सामाजिक संगठन व्यवस्था एवं सामाजिक समस्या से है जबकि मानव शास्त्र का संबंध समाजशास्त्र की तुलना में आदिम समाज का अध्ययन करता है।

पता यह कहा जा सकता है कि मानव शास्त्र की तुलना में समाजशास्त्र के क्षेत्र अत्यंत बड़ा है।

2 .समाजशास्त्र अपने अध्ययन में समग्र तावादी पद्धति का उपयोग करता है जबकि ।
जबकि मानव शास्त्र तथ्यों के संकलन हेतु समग्रता पद्धति का उपयोग करता है।

3 .कुछ समाज वैज्ञानिकों का मत है कि समाजशास्त्र एक सिद्धांत विषय है।
अतः इसका व्यवहारिक महत्व नहीं है इसका उपयोग ज्ञान प्राप्त करने से है या करने के लिए किया जाता है जबकि मानव शास्त्र एक व्यवहारिक विज्ञान है।

 Sociology aur Samajshastra ka vishay kshetra-समाजशास्त्र का क्षेत्र और प्रकृति

समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में संबंध/Relations in Sociology and Political Science

 

समाजशास्त्र और राजनीति के संबंध के परिपेक्ष में समाज वैज्ञानिक कौन है जो विचार व्यक्त किए हैं उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि समाज शास्त्र और राजनीति साथ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। तथा इनमें बहुत से घनिष्ठ संबंध हैं या घनिष्ठता पाई जाती है ।

समाजशास्त्र में समाज के सभी वर्गों का अध्ययन किया जाता है।

जबकि राजनीति शास्त्र में राज्यों की प्रक्रियाओं से संबंधित समाज सभा सकता तथा राजनैतिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में गहन संबंध आधुनिक समय में राजनीति शास्त्र में राजनीतिक व्यवस्था के साथ राजनीतिक व्यवहार पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है।

 

समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में संबंध/Relations in Sociology and Political Science

1.समाजशास्त्र समाज में व्याप्त गतिविधियों पर अध्ययन करता है जबकि राजनीति शास्त्र उन अध्ययनों का अवलोकन करके नीति निर्माण करता।

2.समाजशास्त्र का दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक है जबकि राजनीति शास्त्र का दृष्टिकोण समाजशास्त्र की तुलना में सीमित है

3.समाजशास्त्र समाज के सदस्यों के सामाजिक संबंध संस्था समुदाय प्राथमिक व द्वितीय समूह व उनके व्यवहारों अध्ययन प्रमुख रूप से किया करता है जबकि राजनीति शास्त्र समाज की राजनीति संबंध राजनीतिक व्यवहार के अध्ययन पर ही बल दिया करता है।

4.समाजशास्त्र के अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों का चिंतन का आधार सामाजिक होता है प्रत्येक समस्या के कारणों की खोज में सामाजिक कारणों को प्रमुखता देते हैं जबकि राजनीति शास्त्र में चिंतन का मुख्य आधार होता है राजनीति।

 समाजशास्त्र और मानव शास्त्र में संबंध/Relations in Sociology and Anthropology

 

समाजशास्त्र और मानव शास्त्र में संबंध/Relations in Sociology and Anthropology

1.समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र वर्तमान समाज सामाजिक संबंध सदस्यों की सामाजिक क्रिया सामाजिक संगठन व्यवस्था एवं सामाजिक समस्या से है जबकि मानव शास्त्र का संबंध समाजशास्त्र की तुलना में आदिम समाज का अध्ययन करता है।

पता यह कहा जा सकता है कि मानव शास्त्र की तुलना में समाजशास्त्र के क्षेत्र अत्यंत बड़ा है।

2.समाजशास्त्र अपने अध्ययन में समग्र तावादी पद्धति का उपयोग करता है जबकि । जबकि मानव शास्त्र तथ्यों के संकलन हेतु समग्रता पद्धति का उपयोग करता है।

3.कुछ समाज वैज्ञानिकों का मत है कि समाजशास्त्र एक सिद्धांत विषय है। अतः इसका व्यवहारिक महत्व नहीं है इसका उपयोग ज्ञान प्राप्त करने से है या करने के लिए किया जाता है जबकि मानव शास्त्र एक व्यवहारिक विज्ञान है।

Sociology in hindi

समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में संबंध/Relations in Sociology and Psychology

समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में परस्पर संबंध है। समाजशास्त्र की तरह ही मनोविज्ञान भी समाज के सदस्यों को एक सामाजिक प्राणी मानकर उसकी मानसिक स्थितियों का अध्ययन करता है ।

जबकि इसी प्रकार कहा जा सकता है कि सामाजिक संबंधों के समग्रता का अध्ययन करने वाले विज्ञान के समाजशास्त्र तथा समाज के सदस्यों के मानसिक स्थिति का अध्ययन करने वाली विज्ञान को मनोविज्ञान कहा जा सकता है ।
मनोविज्ञान की विषय सामग्री का प्रत्यक्ष संबंध समाज की सदस्यों की स्थिति से है ।

यह समाज के सदस्यों के मानसिक विकास पर सामूहिक जीवन के प्रभाव को देखकर व्यक्ति के मन का समूह पर पड़ने वाला प्रभाव का अध्ययन करता है। इसी संबंध में बिगफूट का विचार है


कि मनोविज्ञान सामाजिक संबंधों का रूप से अध्ययन करता है कि वर्तमान तथा भूत में व्यक्ति और समूह के घटित होने वाले अंतः क्रिया का ज्ञान हो सके मनोविज्ञान इन अंतः क्रिया के भावनाओं का अध्ययन कर यह ज्ञात करने का प्रयत्न करता है कि उनके कारण सामाजिक संबंधों का जाल कैसे बन जाता है।

 

समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में अंतर/Difference in Sociology and Psychology

1. मनोविज्ञान व्यक्ति की मनो चेतना का अध्ययन करता है जबकि समाज शास्त्र व्यक्ति के सामाजिक संबंधों का दिन करता है।

2. समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र समाज है जबकि मनोविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र व्यक्ति की मनु स्थिति है।

3. समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र व्यापक है जबकि समाजशास्त्र समाज के प्रत्येक पद से संबंधित ज्ञान का समाज को समझाने हेतु समायोजन करता है
नुक्से मनोविज्ञान का अध्ययन चित्र समाजशास्त्र की तुलना में अत्यंत सीमित है क्योंकि मनोविज्ञान व्यक्ति के मरने का कारण या समस्या का एकमात्र कारण बनता है।
4. समाजशास्त्र और मनोविज्ञान की स्थिति समाज और व्यक्ति के गतिशील प्रक्रिया में भी अंतर दिखा जा सकता है
समाजशास्त्र समाज में परिवर्तनशील भावों का अध्ययन करता है जबकि मनोविज्ञान व्यक्ति के परिवर्तनशील मानसिकता का अध्ययन करता है।
5. समाजशास्त्र और मानवशास्त्र में घनिष्ठ संबंध दर्शाते हुए प्रमुख विद्वानों ने लिखा है कि समाजशास्त्र और मानवशास्त्र दोनों समान है एवं दोनों समान समस्या का अध्ययन करते हैं
समाजशास्त्र मानी व्यवहारों की अध्ययन प्रथाओं में परिपेक्ष में करते हैं जबकि मानव शास्त्र आधुनिक समाज में व्याप्त सामूहिक व्यवहार का अध्ययन करता है तब वह समाजशास्त्री सामग्री का उपयोग करता है।

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