आद्य ऐतिहासिक काल (क्या है सिंधु सभ्यता)- Proto Historic Period in Hindi
आद्य ऐतिहासिक काल में मानव द्वारा लिखी गई लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है किंतु लिखित साक्ष्य मिले हैं इस काल की जानकारी का स्त्रोत भी पुरातात्विक साक्ष्य ही माना जाता है।
आद्य ऐतिहासिक काल में हम सिंधु सभ्यता को रखते हैं
तो चलिए जान लेते हैं कुछ सिंधु सभ्यता के बारे में एवं सिंधु सभ्यता के प्रमुख तथ्यों के बारे में जिन्हें आपको इतिहास में पढ़ना है और साथ ही साथ सिंधु सभ्यता का इतिहास के बारे में आप इस लेख में जाने वाले हैं।
सिंधु सभ्यता – Sindhu Sabhyata History in Hindi (Indus Civilization in Hindi)
सिंधु नदी के तट पर मिली थी इसलिए इसका नाम सिंधु नदी के नाम पर सिंधु सभ्यता हम लोग कहते हैं। इसकी जानकारी के लिए पहली खुदाई हड़प्पा में हुई थी अतः इसे हड़प्पा सभ्यता भी हम सब कह सकते हैं।
किसने बताया सिंधु सभ्यता के बारे में – (Indus Civilization In Hindi)
सिंधु सभ्यता की जानकारी सबसे पहले चार्ल्स मैसन ने दिया था यानी सबसे पहले चार्ल्स मैसन ने सिंधु सभ्यता के बारे में विश्व को बताया था।
लेकिन सिंधु सभ्यता की सर्वेक्षण जेम्स कनिंघम ने की थी सिंधु सभ्यता के बारे में भारतीय कनिंघम ने बताया था।
सिंधु सभ्यता का नामकरण जॉन मार्शल ने किया था एवं खुदाई भारतीय दयाराम साहनी ने करवाई थी
सिंधु सभ्यता का एरिया – Total area of indus valley civilization in hindi
आप लोगों ने सिंधु सभ्यता के बारे में जाना है अभी तक लेकिन आप लोगों को जानकर हैरानी होगी सिंधु सभ्यता के एरिया के बारे में सिंधु सभ्यता का एरिया लगभग 1300000 वर्ग किलोमीटर में फैला था जो काफी बड़ा माना जाता है।
आज ऐतिहासिक काल में सिंधु सभ्यता के आकार की बात करें तो सिंधु सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार माना जाता है विश्व की सबसे पहली शहरी सभ्यता सिंधु सभ्यता को ही माना जाता है।
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सिंधु सभ्यता का विकास एवं विनाश – Origin and development of indus valley civilization
सिंधु सभ्यता का विकास एवं बिना यानी कि सिंधु सभ्यता का आरंभ 2500 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व तक माना जाता है।
इसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान के युद्ध का गेंदों से लगी हुई थी जो दास नदी के तट पर थी और उत्तरी सीमा कश्मीर के मांडा में चिनाब नदी के तट पर थी।
इस की पूर्वी सीमा उत्तर प्रदेश के आलमगीरपुर में मानी जाती थी जो हिंडन नदी के किनारे थी साथ ही साथ सिंधु सभ्यता की दक्षिणी सीमा महाराष्ट्र के दायमा बाद में प्रवरा नदी के तट पर मानी जाती है।
अभी तक हम लोगों ने सिंधु सभ्यता के आकार, सिंधु सभ्यता का क्षेत्रफल और सीमा के बारे में ऊपर जाना है अब हम सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थलों के बारे में भी कुछ नजर डाल ही लेते हैं।
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल – Main Places of the Indus Valley Civilization
चलिए अब जान लेते हैं सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थलों के बारे में जो कि निम्न प्रकार से हैं वैसे तो सिंधु सभ्यता में कई प्रमुख स्थल है
हड़प्पा (1921) – Harappa sabhyata in hindi
सिंधु सभ्यता में हड़प्पा की खुदाई भारत के रहने वाले दयाराम साहनी ने करवाई थी यह रावी नदी के तट पर पाकिस्तान के माउंट गुमरी जिला में स्थित है यह पाकिस्तान में स्थित है क्योंकि जब 1921 में इसकी खुदाई करवाई गई थी तब भारत और पाकिस्तान का विभाजन नहीं हुआ था।
सिंधु सभ्यता में हड़प्पा से जो वस्तुओं के साथ में नहीं उसके बारे में अभी जानना जरूरी होता है इसलिए आपको यह जानना चाहिए।
- कुम्हार का चाक
- अन्ना गार
- श्रमिक आवाज
- मातृ देवी की मूर्ति
- लकड़ी की ओखली
- लकड़ी का ताबूत
- Rh 37 कब्रिस्तान
- हाथी का कपाल
- स्वास्तिक चिन्ह
मोहनजोदड़ो (1921) – Mohenjo daro sabhyata
सिंधु सभ्यता में मोहनजोदड़ो की खुदाई भी हड़प्पा के समय से ही चल रही है इसकी खुदाई भी 1921 में राखल दास बनर्जी ने करवाई थी यह भी पाकिस्तान में चला गया है और यह पाकिस्तान के लड़का ना जिले में स्थित है यह सिंधु नदी के तट पर स्थित है
मोहन जोदड़ो सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा शहर माना जाता है। यह मृतकों का एक बहुत बड़ा टीला मिला है जिससे इसका नाम मृतकों का टीला नाम से भी प्रसिद्ध हो चुका है
जानिए मोहनजोदड़ो में मिले वस्तुओं के प्रमुख साक्ष्य के बारे में
Main Mohenjodaro Place In Hindi
- पुरोहित आवास
- घर में कुआं
- विशाल स्नानागार
- अन्ना गार
- सूती वस्त्र
- सबसे चौड़ी सड़क
- सभागार
- पशुपति शिव की मूर्ति
- कांसा
- नर्तकी
- तांबे का ढेर
Note:- आपको यह भी जान लेना चाहिए कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में अन्ना गार मिले हैं लेकिन सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा भवन या इमारत मोहनजोदड़ो में पाया गया था।
चनहुदड़ो – Chanhudaro in hindi
सिंधु सभ्यता में चन्हुदड़ो की खुदाई 1931 में की गई थी जो कि गोपाल मजूमदार ने करवाई थी यह भी पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
यह एकमात्र ऐसा शहर था सिंधु सभ्यता में जो दुर्ग रहेता इसका मतलब इसके बगल में बाउंड्री नहीं थी। यह एक औद्योगिक शहर था इसका पता ऐसे लगता है क्योंकि इसमें
- मेकअप का सामग्रियां मिली थी
- लिपस्टिक
- शीशा
- मनका
- गुड़िया
- बिल्ली का पीछा करता हुआ कुत्ता
रोपड़ 1953 – Ropar Indus valley civilization
इसकी खुदाई यज्ञदत्त शर्मा ने 1953 ई . में की । यह पंजाब के सतलज नदी के किनारे स्थित है । यहाँ मानव के साथ – साथ उसके पालतू जानवरों का भी शव मिला है ।
Note : ऐसा ही शव नव – पाषाण काल में जम्मु – कश्मीर के बुर्जहोम में मिला था ।
बनवाली – बनवाली सभ्यता की खोज
इसकी खुदाई रविन्द्र सिंह न की । यह हरियाणा में स्थित है । इसके समीप रगोई नदी है । यहाँ जल – निकासी की व्यवस्था नहीं थी जिस कारण घरों में सोखता मिला है ।
यहाँ की सड़के टेढ़ी – मेढ़ी थी ।
कालीबंगा – Kaalibangan in Hindi
इसका अर्थ होता है काली मिट्टी की चूड़ी । यहाँ से अलंकृत ईट , चुडी , जोता हुआ खेत हल एवं हवन कुँड मिले हैं । यह राजस्थान में सरस्वती ( घग्घर ) नदी के किनारे है ।
इसकी खुदाई BK . थापड़ तथा B.B. लाल ने की ।
धौलावीरा – Dholavira Site In Hindi
यह गुजरात में स्थित है । यह सिन्धु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल है । इसकी खुदाई रविन्द्र सिंह ने की । ” सुरकोटदा ” यह गुजरात में स्थित है । यहीं से कलश शवाधान तथा घोड़े की हड्डी मिली है ।
लोथल
यहां सिंधु सभ्यता का बंदरगाह स्थल है । यहाँ से गोदीवाड़ा मिला है । यहाँ घर के दरवाजें सड़कों की ओर खुलते थे । यहाँ फारस की मुहर मिली है , जो विदेशी व्यापार का संकेत है ।
यहाँ से युगल शवाधान मिला है , जो सतीप्रथा का प्रतीक है ।
रंगपुर
यह गुजरात में स्थित है । यहाँ से धान की भूसी मिली है । सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल धौलावीरा है ( गुजरात + पाकिस्तान ) भारत में सबसे बड़ा स्थल राखीगढ़ी ( हरियाणा ) है । सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा शहर मोहनजोदड़ो ।
सिंधु सभ्यता की विशेषताएँ – Importance of indus valley civilization in hindi
- सिंधु सभ्यता एक नगरीय ( शहरी ) सभ्यता थी ।
- यहाँ की सड़कें एक – दूसरे को समकोण पर काटती थी , तथा ये पूरब – पश्चिम दिशा में थी , जिससे हवा द्वारा सड़क स्वतः साफ हो जाती थी
- नालियों ढकी हुई थी ।
- अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि था ।
- इनका व्यापार विदेशों तक होता था ।
- इनका समाज मातृ सतात्मक था ।
- इनकी लिपी भाव चित्रात्मक थी , जिसे पढ़ा नहीं जा सका है ।
- इनके मुहरों पर सर्वाधिक । सिंग वाले जानवर का चित्र था ।
- इनके मुहरों पर गाय का चित्र नहीं मिला है । यहाँ माप – तौल के लिए न्यूनतम बाट 16 kg का था ।
- सिंधु सभ्यता के लोग युद्ध या तलवार से परिचित नहीं थे ।
- सिंधु सभ्यता के विनाश का सबसे बड़ा कारण बाढ़ को माना जाता है ।