Sengol Kya Hai (सेंगोल का आकार, मतलब)
Kya hai Sengol
सेंगोल: इस समय “सेंगोल” नाम बहुत चर्चा में है, इसलिए हम आपको बताएंगे कि सेंगोल क्या है और इसके पीछे का महत्व क्या है और क्यों यह नये संसद भवन के उद्घाटन में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बताने के लिए, यह जान लें कि भारत के लंबित नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है, जो एक आधुनिक प्रयास है इतिहास, संस्कृति, विरासत और परंपरा को संजोने का।
Sengol की स्थापना
दिनांक 26 मई 2023 को, अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से घोषणा की कि नए संसद भवन में “सेंगोल” (Sengol) स्थापित किया जाएगा। अब हम जानेंगे सेंगोल का मतलब क्या है। वास्तव में, भारतीय परंपरा के अनुसार, सेंगोल भारतीय सम्राट के राजदंड का प्रतीक होता था। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे तमिलनाडु की जनता से प्राप्त किया था। संगोल (Sengol) एक प्रकार से अंग्रेजों से भारतीयों को अपनी शक्ति को पुनः प्राप्त करने का प्रतीक है।
संगलो शब्द क्या है
सेंगोल (Sengol) एक तमिल शब्द है जिसका मतलब होता है “सच्चाई, धर्म और निष्ठा”। इस सेंगोल को पहले इलाहाबाद में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन अब इसे नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। इतिहास में, चोल साम्राज्य के समय दक्षिण भारत में एक व्यवस्था थी, जहां एक राजा दूसरे राजा को सत्ता पास करता था, और इसके बाद सेंगोल को नए राजा को सौंपा जाता था, उसे सम्मानित किया जाता था। चोल काल में राजा के समारोह में सेंगोल का बहुत महत्व था। सेंगोल एक तीर की आकृति का होता है, जिस पर अत्यंत विस्तृत नक्काशी की जाती है और इसे एक पवित्रता का प्रतीक माना जाता है जो एक शासक दूसरे शासक को प्रदान करता है।
सेंगोल की सुर्खियों में आने की प्रमुख वजह है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इसकी पुनरावृत्ति की घोषणा। उन्होंने बताया कि सेंगोल भारतीयों के लिए अंग्रेजों से प्राप्त की गई शक्ति का प्रतीक है। इसके अलावा, अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन के उद्घाटन समारोह से पहले तमिलनाडु से सेंगोल का प्रदर्शन करेंगे।
सेंगोल को नई संसद भवन का हिस्सा कैसे बना
सेंगोल को नई संसद भवन का हिस्सा कैसे बनाया गया, इसकी प्रक्रिया क्या थी? पद्मा सुब्रहमण्यम, एक भारतीय शास्त्रीय नृत्य कलाकार, ने संस्कृति मंत्रालय को पत्र लिखकर सेंगोल को नए संसद भवन में शामिल करने की सुझाव दी थी। इसके बाद, संस्कृति मंत्रालय ने इस प्रस्ताव की जांच की और सही होने पर इसे नई संसद भवन का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया गया।
सेंगोल का निर्माण
सेंगोल का निर्माण वुमुदी बंगारू चेट्टी नामक एक सुनार व्यक्ति द्वारा किया गया था, और इसे 15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। इसके बाद से यह प्रथा चली आई है।
सेंगोल का आकार
सेंगोल का आकार पांच फीट लंबी छड़ी होती है, और इसके सबसे ऊपर भगवान शिव के वाहन के रूप में माने जाने वाले नंदी विराजमान होते हैं। यह नंदी न्याय और निष्पक्षता की प्रतीक है।