समिति/committee
हम दिन प्रतिदिन अपने आसपास अनेक समितियों को देखते हैं चाहे वह सामाजिक हो आर्थिक और राजनीतिक हो परंतु हम इस बात पर ध्यान नहीं देते कि उस समिति का वास्तविक उद्देश्य क्या है
समाजशास्त्र समिति से तात्पर्य कुछ सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निर्मित मानव समूह का बोध होता हे।
सामान्य रूप से उसके सदस्यों के कुछ हत्या हितों को सामूहिक रूप से प्राप्त करने के लिए बनाए गए रक्षक संगठन को समिति कहते हैं।
परिषदीय समिति एक दूसरे से संबंधित उन सामाजिक प्राणियों का समूह है जो एक निश्चित लक्ष्य अथवा लक्ष्यों की पूर्ति के लिए एक सामान्य संगठन का निर्माण करते हैं।
साधारणतहा किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों द्वारा मिलकर कार्य करने वाली परिषद या समिति कहलाती ह।
गैलन गैलन/gellen and gellen
समिति व्यक्तियों का ऐसा समूह है जो उद्देश्य अथवा उद्देश्य के लिए गठित होता है।
समिति की विशेषताएं/ Committee Features
- व्यक्तियों का समूह
- एकचेक सदस्यता
- निश्चित उद्देश्य
- अस्थाई स्वरूप
- सामाजिक नियम
- विशिष्ट नाम
- विचार पूर्वक स्थापना
समिति के प्रकार/ Types of committee
समिति के कई प्रकार होते हैं जैसे के धार्मिक ,सांस्कृतिक ,आर्थिक, स्वास्थ्य ,शैक्षणिक ,मनोरंजन इत्यादि
संस्था का अर्थ/Meaning of organization
जिन संगठनों के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था में आवश्यकता ओं की पूर्ति के लिए कुछ कार्य प्रणाली अथवा ढंग निर्धारित किए जाते हैं उन्हें संस्था कहते हैं संस्था शब्द का प्रयोग कई रूपों में किया जाता है
जैसे संगठन के रूप में व्यवहार प्रतिमान के रूप में तथा कार्य विधानओं के रूप में और नियमोंचारे की व्यवस्था के रूप में संस्था के अर्थ सार्वजनिक अर्थ एवं अर्ध सार्वजनिक अर्थ प्रकृति के संगठनों में किया जाता है
इसका एक संचालक मंडल भवन अथवा किसी प्रकार की भौतिक व्यवस्था होती है जिसकी रचना किसी समाज नियोजित तथा प्राधिकृत लक्ष्यों की पूर्ति हेतु की जाती है लक्ष्यों की पूर्ति हेतु संस्था का निर्माण किया जाता है जैसे कॉलेज ,विश्वविद्यालय, चिकित्सालय, अनाथालय
कुछ समाज वैज्ञानिकों की दृष्टि में संस्था अपेक्षाकृत स्थाई जटिल एवं संगठित व्यवहार प्रतिमान है जिनके द्वारा सामाजिक नियंत्रण की स्थापना मुहूर्त सामाजिक आवश्यकता एवं शिक्षकों को लक्षणों की पूर्ति होती है
परिभाषा /defination
Spencer
संस्था वह अंग है जिसके माध्यम से कारणों को क्रियान्वित किया जाता है
मैंकईबर
संस्था कार्य प्रणाली के उन प्रतिष्ठित स्वरूपों अथवा स्थिति को कहा जाता है जो शंभू की क्रियाओं की विशेषता स्पष्ट कर आता है
समन्रर/ Spencer
संस्था एक विचारधारा एवं एक ढांचा का नाम है
गुडवर्थ /Goodworth
संस्था जन जातियों एवं रूढ़ियों का संग्रह है जो कुछ मानवीय है तो या उद्देश्यों की पूर्ति के लिए केंद्रित होता है
bogardus
सामाजिक संस्था समाज की व संरचना होती है जो मुख्यतः सुव्यवस्थित विधियों द्वारा लोगों की आवश्यकता को पूर्ति के लिए संगठित की जाती है
ग्रीन/green
एक संस्था किसी इकाई में जन नीतियों एवं रूढ़ियों का ऐसा संगठन है जिसके द्वारा अनेक सामाजिक कार्य संपन्न होते है
निम्कॉक/nimcook
कुछ आधारभूत मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु संगठित एक स्थापित प्रणाली सामाजिक संस्थाएं कहलाती हैं
परिस्थिति संकुल अवधारणा/Circumstance package concept
यह अवधारणा आर के मर्टन द्वारा दी गई थी आर के मर्टन ने कहा है कि जब किसी भी व्यक्ति को कभी मात्र एक ही परिस्थिति का सामना करना पड़ता है
और वह कई परिस्थितियां अपने जन्म के साथ ही लेकर पैदा होता है इसके अतिरिक्त वह अपने कर्मों के माध्यम से अनेक परिस्थितियां प्राप्त करता है
बहुल भूमिका/Multiple roles
यह अवधारणा आर के मर्टन द्वारा दी गई इसमें परिस्थिति संकुल के गतिशील पक्ष को बहुल भूमिका कहते हैं एक ही व्यक्ति की गई परिस्थितियां होती हैं इस अवधारणा में
भूमिका संकुल/ Role package
आर के मर्टन की यह भूमिका bahul Bhumika उससे भिन्न होती है भूमिका संकुल से तात्पर्य एक ही परिस्थिति में अनेक भूमिकाओं का निर्वहन करना जैसे कोई व्यक्ति एक कार्यालय में उच्च पद पर बैठकर अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन करता है
भूमिका दूरी/Role distance
यह अवधारणा अरविंद गोप मैन द्वारा दी गई है किसी व्यक्ति द्वारा अपनी भूमिका प्रत्याशा के विपरीत व्यवहार करना भूमिका दूरी कहलाती है
अभिनव की भूमिका / Role of innovation
यह अवधारणा जीएच मीट द्वारा दी गई है इनमें सामाजिकरण के प्रारंभिक प्रक्रिया में अभिनव के प्रदर्शित किया है जैसे बचपन में बच्चे खेल के दौरान बड़ों की भूमिका का अभिनय करते हैं
इसी प्रकार वे अभियान के द्वारा अपने आने वाली भूमिकाओं को सिखाते हैं
परिस्थिति अनियमितता अवधारणा/Situational irregularity concept
यह भूमिका जी लेक्सी द्वारा दी गई है इसका तात्पर्य किसी व्यक्ति के एक परिस्थिति क्या अत्यधिक होना वहीं दूसरी ओर प्रति स्थिति का निर्माण होना पाया जाता है
भूमिका संघर्ष/Role conflict
जब किसी व्यक्ति की दो भूमिकाएं परस्पर एक साथ होती है और व्यक्ति उस विरोध है इस संघर्ष में आ जाता है कि कौन सी भूमिका का निर्वाहन किया जाए तब उसे भूमिका संघर्ष कहते हैं।
मुख्य परिस्थिति/ Main condition
पीएच हेलो द्वारा दी गई है हम पहले ही परिस्थिति संकुल को समझ चुके हैं कि ऐसा नहीं है कि व्यक्ति की सभी परिस्थितियों समाज में उतनी ही महत्वपूर्ण होती हैं व्यक्ति की परिस्थितियों में से कोई एक परिस्थिति ऐसी होती है जिसमें जिसके नाम से समाज उसे जानता है या पहचाना जाता है।
स्टेशन अवधारणा /Station concept
यह अवधारणा किंग्सले डेविस द्वारा दी गई है यह परिस्थिति अनुक्रम की श्रंखला की अंतिम प्रस्तुति है इसके आगे कोई परिस्थिति नहीं होती
रुग्ड भूमिका/Rugged role
यह भूमिका पार्षद एवं एंडरसन द्वारा दी गई है जब किसी व्यक्ति को शारीरिक मानसिक अवस्था के कारण कोई भी भूमिका सौंपी जाती है जिसका मैं वास्तव में हकदार नहीं है तब उसे रोक भूमिका कहा जाता है
कार्यालय अवधारणा /Office concept
यह भूमिका किंग्सले डेविस द्वारा दी गई है जिसमें कुछ भूमिका है किसी परिस्थिति से नहीं जुड़ी होती बल्कि वह किसी पद या कार्यालय से जुड़ी होती हैं