Jaanwaro ki Hindi Kahaniya for little kids – Hindi Short Stories
Jaanwaro ki Hindi Kahaniya for little kids – जानवरो की हिंदी कहानिया फॉर लिटिल किड्स
Bird hindi story
चिडिया रानी
चिड़िया रानी चिड़िया रानी।
तुम हो पेड़ों की रानी॥
सुबह सवेरे उठ जाती हो।
ना जाने क्या गाती हो॥
क्या तुम भी पढ़ने को जाती हो।
या नौकरी करने को जार्ती हो ॥
शाम से पहले आती हो ।
बच्चों का दाना लाती हो॥
भर-भर चोंच खिलाती दाना।
चूँ – चूँ चहक सुनाती गाना ॥
Monkey and crocodile hindi story / हिंदी कहानी
चालाक बन्दर
किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था । उस पर एक बन्दर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे फल लगते थे । बन्दर उन्हे भरपेट खाता और मौज उड़ाता । वह अकेले ही मजे में दिन गुजार रहा था। एक दिन एक मगर उस नदी में से पेड़ के नीचे आया ।
बन्दर के पूछने पर मगर ने बताया की वह वहाँ खाने की तलाश में आया है । इस पर बन्दर ने पेड़ से तोड़कर बहुत से मीठे फल मगर को खाने के लिए दिए। इस तरह बन्दर और मगर में दोस्ती हो गई ।
अब मगर हर रोज़ वहाँ आता और दोनों मिलकर खूब फल खाते । बन्दर भी एक दोस्त पाकर बहुत खुश था । एक दिन बात-बात में मगर ने बन्दर को बताया की उसकी एक पत्नी है जो नदी के उस पार उनके घर में रहती है ।
तब बन्दर ने उस दिन बहुत से मीठे फल मगर को उसकी पत्नी के लिए साथ ले जाने के लिए दिए । इस तरह मगर रोज़ जी भरकर फल खाता और अपनी पत्नी के लिए भी लेकर जाता।
मगर की पत्नी को फल खाना तो अच्छा लगता पर पति का देर से घर लौटना पसन्द नहीं था । एक दिन मगर की पत्नी ने मगर से कहा कि अगर वह बन्दर रोज-रोज इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। मैं उसका कलेजा खाऊँगी। मगर ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी ।
मगरमच्छ दावत के बहाने बन्दर को अपनी पीठ पर बैठाकर अपने घर लाने लगा। नदी बीच में उसने बन्दर को अपनी पत्नी की कलेजे वाली बात बता दी। इस पर बन्दर ने कहा कि वो तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड आया है। वह उसे हिफाजत से पेड पर रखता है। इसलिए उन्हे वापिस जाकर कलेजा लाना पडेगा। मगर बन्दर को वापिस पेड़ के पास ले गया ।
बन्दर छलांग मारकर पेड़ पर चढ़ गया। उसने हंसकर कहा कि- “जाओ मूर्खराजा, घर जाओ और अपनी पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो । भला कोई भी अपना कलेजा निकालकर अलग रख सकता है।”
हिंदी कहानी का निष्कर्ष / Conlusion of this hindi story
बन्दर की इस समझदारी से हमे पता चलता है कि मुसीबत के वक्त हमें कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए।
Cat and monkey story
बिल्ली और बंदर
एक गाँव में दो बिल्लियाँ रहती थीं । वह आपस में बहुत प्यार से रहती थीं। उन्हे जो कुछ मिलता था, उसे आपस में बाँटकर खाया करती थीं। एक दिन उन्हे एक रोटी मिली। उसे बराबर-बराबर बाँटते समय उनमें झगड़ा हो गया । एक बिल्ली को अपनी रोटी का टुकड़ा दूसरी बिल्ली के रोटी के टुकड़े से छोटा लगा ।
परन्तु दूसरी बिल्ली को अपनी रोटी का टुकड़ा बड़ा नहीं लगा। जब दोनों बिल्लियाँ किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाई तो दोनों बिल्लियाँ एक बंदर के पास गयीं। उन्होनें बंदर को सारी बात बताई और उससे न्याय करने के लिये कहा। सारी बात सुनकर बंदर एक तराजु लेकर आया और दोनों टुकड़े एक-एक पलड़ें में रख दिये।
तोलते समय जो पलड़ा भारी हुआ, उस वाली तरफ से उसने थोड़ी सी रोटी तोड़कर अपनें मुंह में डाल ली। अब दूसरी तरफ का पलड़ा भारी हो गया, तो बंदर ने उस तरफ से रोटी तोड़कर अपने मुंह में डाल ली। इस तरह बंदर कभी इस तरफ से तो कभी उस तरफ से रोटी ज्यादा होने का कहकर रोटी तोड़कर अपने मुंह में डाल लेता।
दोनों बिल्लियाँ चुपचाप बंदर के फैसले का इंतज़ार करती रही। परन्तु जब बिल्लियों ने देखा कि रोटी के दोनों टुकड़े बहुत छोटे-छोटे रह गये तो वह बंदर से बोली कि – “आप चिन्ता ना करें, हम अपने आप बँटवारा कर लेंगी।”
इस पर बंदर बोला – ” जैसा आप ठीक समझो, परन्तु मुझे भी अपनी मेहनत की मजदूरी मिलनी चाहिए।” इतना कहकर बंदर ने बाकी बचे हुए रोटी के दोनों टुकड़े अपने मुँह में भर लिए और बिल्लियाँ को वहाँ से भगा दिया। दोनों बिल्लियों को अपनी गलती का बहुत दुख हुआ और उन्हें समझ आ गया कि “आपस की फूट बहुत बूरी होती है और दूसरे इसका फायदा उठा सकते हैं।”
इस हिंदी कहानी का निष्कर्ष / Conlusion of this hindi story
आपस की फूट बहुत बूरी होती है और दूसरे इसका फायदा उठा सकते हैं।
Elephant story in hindi
हाथी आया
हाथी आया, हाथी आया
सूँड हिलाता हाथी आया
चलता फिरता हाथी आया
ज़ूम ज़ूम कर हाथी आया
कान हिलता हाथी आया
Peacock ki kahani
कौआ चला मोर बनने
एक कौए ने बहुत सारे मोर पंख इकट्ठे किए और उन्हें अपने तन पर लगा लिए। उसे अपना नया रूप बहुत अच्छा लगा और उसने निश्चय किया कि अब वह कौओं के साथ नहीं, बल्कि मोरों के साथ रहेगा। इसके बाद वह अपने पुराने साथियों का तिरस्कार करके वहाँ से चला गया और मोरों के झुंड में मिलने की कोशिश करने लगा।
हालाँकि, मोरों ने तुरंत पहचान लिया कि उनके बीच में एक कौआ आ गया है। उन्होंने अपनी चोंचों से नोंच-नोंचकर कौए के तन पर लगे मोर पंख नोंच डाले और उसका मखौल उड़ाने लगे।
अपमानित और दुखी कौआ भारी मन से अपने घर वापस लौट आया। सारे साथी कौए सिर हिलाते उसके पास आ पहुँचे और कहने लगे, “तुम बहुत ही नीच जीव हो! अगर तुम अपने ही पंखों से संतुष्ट रहते तो तुम्हें दूसरों से इस तरह का अपमान नहीं सहना पड़ता और न ही तुम्हारे अपने लोगों के बीच तुमसे घृणा की जाती।”