Bal Apradh ka arth or paribhasha | बाल अपराध का अर्थ और परिभाषा

Bal Apradh ka arth or paribhasha | बाल अपराध का अर्थ और परिभाषा

बाल अपराध का अर्थ | Bal Apradh ka arth

प्रत्येक समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करने के तथा सामाजिक व्यवस्था की स्थिरता और निरन्तरता कायम रखने के लिए कुछ औपचारिक कानूनों का निर्माण करता है । समाज के कानूनों का उल्लंघन आदि व्यस्क व्यक्ति करते हैं तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है , किन्तु यदि निश्चित आयु से कम आयु के व्यक्ति करते हैं तो उसे बाल अपराध कहते हैं ।

अपराध और नासमझी / नादानी में किये जाने वाले कार्य में अन्तर होता है , क्योंकि छोटे और अपरिपक्व बालकों से यह आशा नहीं की जा सकती है कि वे समाज के हित – अनहित से पूर्णतया विज्ञ हो । बालपन में उनके गैर – कानूनी अपराध खेल – खेल और मौज – मस्ती में हो जाते हैं । स्पष्ट है कि कानून द्वारा निर्धारित उच्चतम एवं निम्नतम आयु सीमा के बीच के व्यक्ति का ऐसा कोई भी कार्य जो कानून के विरुद्ध हो , बाल अपराध कहा जाता है । बाल अपराध , अपराधी कानूनों के द्वारा वर्जित व्यवहार है , जिसका निपटारा कानून के अन्तर्गत किया जा सकता है ।

बाल अपराध की परिभाषा | Bal Apradh paribhasha

1. डॉ ० सेथना के अनुसार , ” बाल – अपराध में एक विशेष स्थान पर उस समय लागू कानून द्वारा निर्धारित एक निश्चित आयु के बालकों या युवकों द्वारा किये गये , अनुचित कार्य सम्मिलित होते हैं ।

2. गिलिन और गिलिन के अनुसार , ” समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण में अपराधी या बाल अपराधी एक ऐसा व्यक्ति है , जो ऐसे कार्य का अपराधी है . जिसको वह समूह , जिसमें अपने विश्वासों को कार्यान्वित करने की शक्ति है , समाज के लिए हानिकारक समझता है , इसलिए ऐसा कार्य करना मना है ।

3. न्यूमेयर के अनुसार , ” बाल अपराधी एक निश्चित आयु से कम का वह व्यक्ति है , जिसने समाज – विरोधी कार्य किया है तथा जिसका दुर्व्यवहार कानून को तोड़ने वाला है ।

4. मावरर के अनुसार , ” बाल अपराधी वह व्यक्ति है , जो जान – बूझकर इरादे के साथ एवं समझते हुए समाज की रूड़ियों की उपेक्षा करता है , जिससे उसका सम्बन्ध है । ” उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि बाल – अपराध एक निश्चित आयु से कम के बच्चों द्वारा किया जाने वाला वह कार्य है , जो समाज विरोधी हो । बाल अपराध की धारणा भिन्न – भिन्न समाजों में तथा समयों के अनुसार विशेषतायें पाई जाती है – परिवर्तित होती रही है । भारत में बाल अपराध की निम्नलिखित मुख्य –

( 1 ) भारत में 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा किये गये अपराध को किसी भी श्रेणी में नहीं रखा जाता है , क्योंकि इस अवस्था में बच्चे में अपराध करने का कोई इरादा नही होता है

( 2 ) 7 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के अपराधियों को बाल अपराधी तथा 16 से 21 वर्ष की आयु के अपराधियों को किशोर अपराधी कहा जाता है

( 3 ) बाल अपराध का तात्पर्य साधारण अपराध से है ।

( 4 ) भारत में भिन्न – भिन्न राज्यों में इसकी आयु सीमा अलग – अलग है ।

Leave a Comment