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ट्रेंडिंग हिंदी स्टोरीज इन इंडिया – New Hindi Short Stories For Kids In Hindi
करुणा का प्रहार
अब्दुल के पास एक बकरी थी , उस बकरी का एक छोटा सा बच्चा था। अब्दुल दोनों को प्यार करता उनके लिए खेत से नरम और मुलायम घास लाता।
दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।
अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।
अब्दुल चौथी कक्षा में पढ़ता था।
एक दिन जब वह स्कूल गया हुआ था।
उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।
सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।
बकरी जोर – जोर से चिल्लाने लगी ,
उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी , किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।
सलीम बच्चे को लेकर काफी दूर निकल गया।
बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था। मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी , किंतु बेबस थी।
बकरी ने अंतिम समय सोचा , अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया। वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।
अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई , किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।
अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।
अब्दुल जब वापस लौट कर आया उसे पड़ोसियों ने पूरी घटना बता दी। जिसके बाद वह अपने मां-बाप से गुस्सा हो गया। मां बाप ने काफी समझाया किंतु उसने किसी की एक न सुनी। क्योंकि वह बकरी उसके लिए अमूल्य थे जिसे वह बेचना चाह रहे थे।
मोरल –
मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है। बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।
और बन गई क्रिकेट टीम
राजू पार्क में उदास बैठा था , आज उसके दोस्त खेलने नहीं आए थे। राजू के पास एक गेंद थी , किंतु बैट और मित्र नहीं थे। वह अकेले ही गेंद के साथ मायूसी से खेल रहा था। पार्क में अन्य बालक भी क्रिकेट खेल रहे थे , किंतु राजू उन्हें जानता नहीं था। इसलिए वह अकेला ही कभी गेंद से खेलता और कभी बैठ कर उन बालकों को खेलता हुआ देखता रहता।
कुछ देर बाद सामने खेल रहे बालकों की गेंद पड़ोस के एक बंद घर में जा गिरी। वहां से गेंद के लौट का आना असंभव था , और कोई बालक उसे लेने के लिए भीतर भी नहीं जा सकता था। अब उन बालकों का भी खेलना बंद हो गया। वह सभी उदास हो गए , क्योंकि अब वह भी क्रिकेट नहीं खेल सकते थे।
उन बालकों की नजर राजू के ऊपर गई , जिसके पास गेंद थी। फिर क्या था , उन लोगों ने राजू को खेलने के लिए अपने पास बुला लिया। राजू खेलने में अच्छा था। इसलिए काफी बेहतरीन शॉर्ट लगा सकता था। गेंद को पकड़ने के लिए और बालकों की आवश्यकता हुई। जिस पर पार्क में खेल रहे और बालक भी उनसे जुड़ गए। और फिर देखते देखते दो दल बन गया।
इस प्रकार राजू की एक नई क्रिकेट टीम तैयार हो गई।
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स्वयं का नुकसान
शहर में एक छोटी सी दुकान , जिसमें कुछ चिप्स , पापड़ , टॉफी , बिस्किट आदि की बिक्री होती थी। यह दुकान अब्दुल मियां की थी। इनकी हालात सभी लोगों को मालूम थी , इसलिए ना चाहते हुए भी आस पड़ोस के लोग कुछ ऐसा सामान ले लिया करते थे। जिससे अब्दुल मियां की कुछ कमाई हो जाए।
दुकान में चूहों ने भी अपना डेरा जमा लिया था। दुकान में एक से बढ़कर एक शरारती चूहे आ गए थे।
इन चूहों ने टॉफी और बिस्किट को नुकसान पहुंचाना चालू कर दिया था।
अब्दुल काफी परेशान हो गया था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस शरारत से कैसे बचे।
एक दिन की बात है , अब्दुल बैठा हुआ था तीन – चार चूहे आपस में लड़ रहे थे।
अब्दुल को गुस्सा आया उसने एक डंडा उन चूहों की ओर जोर से चलाया।
चूहे उछल कर भाग गए , किंतु वह डंडा इतना तेज चलाया गया था कि टॉफी रखने वाली शीशे की जार टूट गई।
ऐसा करने से और भी बड़ा नुकसान हो गया।
निष्कर्ष –
क्रोध में किसी प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए , यह स्वयं के लिए नुकसानदेह होता है।
अपने गलती का पछतावा
गोपाल के घर पांच भैंस और एक गाय थी। वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था। उनके लिए दूर-दूर से हरी – हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता। गाय , भैंस गोपाल की सेवा से खुश थी।
सुबह – शाम इतना दूध हो जाता , गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।
पूरे गांव में गोपाल के घर से दूध बिकने लगा।
अब गोपाल को काम करने में और भी मजा आ रहा था , क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी।
एक दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची ।
जूट की बोरी का जाल बिछाया गया , जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई।
अब क्या था गोपाल ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची।
बिल्ली इतना जोर – जोर से झपट रही थी गोपाल उसके नजदीक नहीं जा सका।
किंतु आज सबक सिखाना था , गोपाल ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया।
देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा , बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।
बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।
देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।
पूरे गांव से आग लगी……………….. आग लगी , बुझाओ …….बुझाओ
इस प्रकार की आवाज उठने लगी। बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया।
गोपाल का घर भी नहीं बच पाया था।
निष्कर्ष –
आवेग और स्वयं की गलती का फल खुद को तो भोगना पड़ता ही है , साथ में दूसरे लोग भी उसकी सजा भुगतते हैं।
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दद्दू की चोट पर हुई किसकी पिटाई
दद्दू और मोहित दोनों भाई थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे , मोहित दद्दू से 2 साल बड़ा था। दोनों एक साथ स्कूल जाते , लौटते समय भी दोनों साथ ही आते थे।
एक दिन की बात है दद्दू अपने दोस्तों के साथ साथ , तेज कदमों से घर की ओर लौट रहा था। अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा , कंधे पर किताब – कॉपी का बोझ लदा था , वह संभल नहीं पाया और गिर गया।
दद्दू को चोट लग गई , उसका घुटना छिल गया………….
जिससे दद्दू जोर जोर से रोने लगा।
पीछे मोहित आ रहा था दौड़ कर झट से अपने भाई को उठा लिया।
मोहित समझदार था दद्दू को काफी समझाया किंतु वह चुप नहीं हो रहा था।
मोहित ने झटपट एक उपाय सोचा और सड़क पर 4-5 लात जोर से मारी और दद्दू को कहा लो इसने तुम्हें चोट लगाया था मैंने इसे चोट लगा दिया।
दद्दू अब सोच में पड़ गया , उसने भी 8 -10 लात मारी।
उसके और दोस्त थे ,
वह भी सड़क पर उछलने लगे जिससे सड़क को और चोट लगे।
बस क्या था , अब यह मनोरंजन का साधन बन गया। कुछ देर बाद सभी वहां से जा चुके थे।
घर पहुंच कर मोहित ने दद्दू के चोट को दिखाया और डिटॉल तथा साफ पानी से घाव को साफ किया गया।
संदेश – समय पर लिया गया निर्णय सर्वदा ठीक होता